जलती हुई सांसों में सितार लेके चलते हैं,
आँसुओं की बारिश में मल्हार लेके चलते हैं,
लाख वीराने खिजाएं राह में आए तो क्या,
हम तो अपने साए में बहार लेके चलते हैं।
पस्त कर दे हौसला अपना किसी में दम नहीं,
हर पल है मेरी जिंदगी अब मौत का भी गम नहीं,
लहरों से हैं खेलती तूफान के ऊपर चले,
हिम्मतों के हाथ वो पतवार लेके चलते हैं।
हर पल है मेरी जिंदगी अब मौत का भी गम नहीं,
लहरों से हैं खेलती तूफान के ऊपर चले,
हिम्मतों के हाथ वो पतवार लेके चलते हैं।
बूंद बूंद को तरसती किसी बाल्टी के लिए,
पत्थरों को तोड़ती तपती गरीबी के लिए,
अपने ही पसीने की ठंडक पा के खुश हो जाते हैं,
आओ इन सब के लिए फुहार लेके चलते हैं।
पत्थरों को तोड़ती तपती गरीबी के लिए,
अपने ही पसीने की ठंडक पा के खुश हो जाते हैं,
आओ इन सब के लिए फुहार लेके चलते हैं।
10 comments:
लाख वीराने खिजाएं राह में आए तो क्या,
हम तो अपने साए में बहार लेके चलते हैं।
बहोत अच्छे, बहुत ही खूबसूरत पंक्तियॉं. लिखती रहें
सभी मुक्तक अच्छॆ लगे. बधाई, लिखते रहें.
सभी मुक्तक अच्छॆ लगे. बधाई, लिखते रहें.
खूबसूरत अहसास. लिखती रहें.
खूबसूरत रचना।
अति सुंदर. आपको बधाई.
सुंदर अहसास, बधाई।
aapki jo likhne ki shaili hai wakai badi lkajawab hai aisha lagta hai sahitya se purtana rista ahi aapka .aur jeewan ko kareeb se jana hai aapne
apni pratibha ko yun hi panno pe ukerte rahna nit naye aayam sthapit karte rahiye inhi subhkamnaon ke sath .manoj dubey
बहुत बढिया!
पस्त कर दे हौसला अपना किसी में दम नहीं,
हर पल है मेरी जिंदगी अब मौत का भी गम नहीं,
लहरों से हैं खेलती तूफान के ऊपर चले,
हिम्मतों के हाथ वो पतवार लेके चलते हैं।
बहुत बढिया!
पस्त कर दे हौसला अपना किसी में दम नहीं,
हर पल है मेरी जिंदगी अब मौत का भी गम नहीं,
लहरों से हैं खेलती तूफान के ऊपर चले,
हिम्मतों के हाथ वो पतवार लेके चलते हैं।
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