काश ! .......कभी ऐसा हो.....
हम रेशमी धागों से रुमाल पर तुम्हारा नाम टाँके..
तुम्हारे लिए फूल चुनकर लाँए और माला गूँथे..
काश ! .....कभी खिड़की पर देर तक बैठकर तुम्हारी राह देंखे..
....कभी यूँ ही अकेलें मे मुस्कायेँ......
कभी ये निगाहें आसमान पर टिकी रह जाएं
काश! ......ऐसा होता......जिन्दगी के कुछ पल तुम्हारे लिए होते
काश! ........................
तुम सपना नही यथार्थ होते.......
हम रेशमी धागों से रुमाल पर तुम्हारा नाम टाँके..
तुम्हारे लिए फूल चुनकर लाँए और माला गूँथे..
काश ! .....कभी खिड़की पर देर तक बैठकर तुम्हारी राह देंखे..
....कभी यूँ ही अकेलें मे मुस्कायेँ......
कभी ये निगाहें आसमान पर टिकी रह जाएं
काश! ......ऐसा होता......जिन्दगी के कुछ पल तुम्हारे लिए होते
काश! ........................
तुम सपना नही यथार्थ होते.......
15 comments:
sundar chaah hai......
कभी यूँ ही अकेलें मे मुस्कायेँ......
कभी ये निगाहें आसमान पर टिकी रह जाएं
काश! ......ऐसा होता......जिन्दगी के कुछ पल तुम्हारे लिए होते
काश! ........................
तुम सपना नही यथार्थ होते.......
sunder khayaal hai
सपने टूट जाते हैं और यथार्थ भोगने को अभिशप्त हैं हम सब।
आपका हर ख़ाब यथार्थ में तबदील हो जाये यही प्रार्थना है।
kash... tum khilkhilakar haste
aour
meri hansi bhi usmen shamil hoti
uff aapke kaash ne to katl kar daalaa sabko, bahi ye saaree sundar baatein aksar sapno mein hee kyon hotee hain, main manthan kar raha hoon. achha likha aapne.
काश तुम यथार्थ नहीं सपना होते।
दिक्कत यही है कि अच्छी लगने वाली बातें सपना ही होती हैं.
सुंदर अभिव्यक्ति
वाह!! बहुत सुन्दर!
bahut badhiya kavita..
Pyari kavita
sunder bhav
badhai
हम रेशमी धागों से रुमाल पर तुम्हारा नाम टाँके..
तुम्हारे लिए फूल चुनकर लाँए और माला गूँथे..
काश ! .....कभी खिड़की पर देर तक बैठकर तुम्हारी राह देंखे..भी यूँ ही अकेलें मे मुस्कायेँ..
कभी ये निगाहें आसमान पर टिकी रह जाएं
काश! ......ऐसा होता......जिन्दगी के कुछ पल तुम्हारे लिए होते काश! .........
क्या बात है क्या आशा है क्या स्वप्न है क्या प्रतीक्षा है
ऐसे ही किसी ने कहा है ............ कोई होता जिसको अपना हम अपना कह लेते यारों पास नहीं तो दूर ही होता लेकिन कोई मेरा अपना आंखों में नींद न होती आंसू ही तैरते रहते
ख्वाबों में जागते हम रात भर .........
वैसे रेशमी धागों से नाम टांकने और खिड़की पर देर तक बैठ कर राह देखने में जो अपनापन है वो मन को छू लेता है. सुंदर भावों से भरी सहज कविता हेतु बधाई..
काश! ......ऐसा होता......जिन्दगी के कुछ पल तुम्हारे लिए होते
काश! ........................
Bahut acha likha hai aapne. Badhai.
apka blog dekha
sabsew sundar kavita pe comment likh raha hoon.
adbhut bhav pradarshan ke liye man se badhai sweekar karen
charu.....me sapna bhi hoon or yatharth bhi... me pream hoon... me dono hoon... dekho na tumko me kitna pyar karta hoon.. karta hoon nahi ,,, krane laga hoo..
me dono hooo me pani bhi hoon me piyas bhi hoon.... me
o meri pyar ...
Post a Comment