Tuesday, October 30, 2007

जरा मुस्कुरा दीजिएगा

जब भी फुरसत हो कोई काम ना नजर आए,
आँख बंद करके हमें याद किया कीजिएगा।

खुशनुमा राज कई दिल की बस्ती में छिपे,
सोच के उनको जरा मुस्कुरा दीजिएगा।

जिंदगी जीने को बड़ा काम यहां रहता है,
दिल ए मजबूर को आराम कहां रहता है।

फिर भी निंदियाई थकी बोझिल बंद पलकों में,
मीठा मीठा सा कोई ख्वाब छिपा लीजिएगा।

जिंदगी दौड़ है व्यापार के पहिए पे चले,
जिस तरफ देखिए बस भीड़ का मंजर निकले।

कभी खामोश आस्मां के नीले साए पर,
एक पल के लिए ही, नजरें टिका दीजिएगा।

गजल गीत सरगम, पायलिया की छमछम

गजल गीत सरगम, पायलिया की छमछम
गुलाबों में रंग इतने प्यारे ना होते,
अगर ख्वाबों के गांव में आशिकों ने
मोहब्बत के दो पल गुजारे न होते।

न होती दीवारें ये रस्मों रिवाजें
तो क्या जानते क्या हैं दिल की आवाजें,
यूं छिप छिप के सबसे छत पे सड़क पे
राज ये दिल से महकते इशारे न होते।

किसी की नजर में न दिखती खुदाई
जो किस्मत न लिखती दिलों की जुदाई,
किताबों में महफूज फूलों की पत्ती में
बीते पलों के नजारे न होते।