Tuesday, October 30, 2007

गजल गीत सरगम, पायलिया की छमछम

गजल गीत सरगम, पायलिया की छमछम
गुलाबों में रंग इतने प्यारे ना होते,
अगर ख्वाबों के गांव में आशिकों ने
मोहब्बत के दो पल गुजारे न होते।

न होती दीवारें ये रस्मों रिवाजें
तो क्या जानते क्या हैं दिल की आवाजें,
यूं छिप छिप के सबसे छत पे सड़क पे
राज ये दिल से महकते इशारे न होते।

किसी की नजर में न दिखती खुदाई
जो किस्मत न लिखती दिलों की जुदाई,
किताबों में महफूज फूलों की पत्ती में
बीते पलों के नजारे न होते।

8 comments:

Asha Joglekar said...

चारू जी अच्छे भावों वाली गज़ल ।

Udan Tashtari said...

अच्छी रचना, बधाई.

aarsee said...

सही मैम अफ़गानिस्तान में इतनी सरस रचना!

Batangad said...

आप जहां हैं वहां इन अहसासों की बहुत जरूरत है।

अनुनाद सिंह said...

रचना अच्छी लगी।

Sanjeet Tripathi said...

सुंदर रचना!!

ghughutibasuti said...

सुन्दर रचना ।
घुघूती बासूती

Manish Kumar said...

पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको। बस इतना कहूँगा कि आपकी रचना पढ़ कर मन खुश हो गया इसकी सरसता और प्रवाह से....