खोकर निज स्नेह धार ही मेघ धवल हो पाते हैं,
इस मनभावन सावन में ही क्यों पांव फिसल फिर जाते हैं,
द्वंदों से भरी इस घरती पर जीवन का सीधा पथ क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
नयनों के स्वप्न झरोंखों से सारा जग सुंदर लगता है,
इनमे आँसू आ जाते हैं जब कोई ठोकर लगता है
फिर भी सपनों में खोने को इस भोले मन का हठ क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
नहीं रंग चित्रपट और तूलिका ना ही कोई चितेरा है,
फिर भी नभ के अंतस्तल में ये सात रंग का घेरा है,
उत्सुक सूरज को ढकने को ये घना मेघ का पट क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
इस मनभावन सावन में ही क्यों पांव फिसल फिर जाते हैं,
द्वंदों से भरी इस घरती पर जीवन का सीधा पथ क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
नयनों के स्वप्न झरोंखों से सारा जग सुंदर लगता है,
इनमे आँसू आ जाते हैं जब कोई ठोकर लगता है
फिर भी सपनों में खोने को इस भोले मन का हठ क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
नहीं रंग चित्रपट और तूलिका ना ही कोई चितेरा है,
फिर भी नभ के अंतस्तल में ये सात रंग का घेरा है,
उत्सुक सूरज को ढकने को ये घना मेघ का पट क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
7 comments:
चारु जी, आपके जिन शब्दों का चयन किया है, उसके बारें में तो मैं यही कहूंगा कि यह कविता पढ़ने के बाद मुझे लग रहा है कि मैं जयशंकर प्रसाद जी के समय की कोई कविता पढ़ रहा हूं, इसे अन्यथा मत लिजीएगा, हो सकता है कि मैं इतनी अच्छी हिंदी नहीं जानता हूं इस लिए आपसे थोड़ी जलन हो रही है
आशीष
नयनों के स्वप्न झरोंखों से सारा जग सुंदर लगता है,
इनमे आँसू आ जाते हैं जब कोई ठोकर लगता है
फिर भी सपनों में खोने को इस भोले मन का हठ क्या है?
हमको बतला दो 'सच' क्या है?
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है।
sach to yehi hai ki aapne ye kavita bari sundar likhi hai, hindi ki pathay pustakon me pari kavita jaisi.
चारू जी, आपको इतना सुन्दर लिखने के लिए बधाई ।
घुघूती बासूती
अब का बतलाई बहना, ई त बड़ा ही धांसू सवाल बा।
bahut sundar likha hai apne.
जीवन का सीधा पथ क्या हॆ?..गहरी सोच से ओत-प्रोत सुन्दर कविता वधाई
विक्रम
Post a Comment