Saturday, January 3, 2009

तेरे नश्वर जग पर बलिहारी।


मेरे प्रभु मेरे परमेश्वर तेरे नश्वर जग पर बलिहारी।

अपने हाथों से रोपे हुए पौधे में पहली बार खिली,
नन्ही कलियों को देख जगी आँखो की चमक पर बलिहारी

मेरे प्रभु..........
ढलते सूरज की किरणों से नीरस बादल रंग जाते है,
पश्चिम की क्षितिज में फैली हुई रंगों की दमक पर बलिहारी।

मेरे प्रभु..........

जलती उड़ती भटकी धूलें जब जल में घुल घुल जाती हैं
पहली बारिश में उठती हुई सोंधी सी महक पर बलिहारी

मेरे प्रभु मेरे परमेश्वर तेरे नश्वर जग पर बलिहारी।


4 comments:

Unknown said...

मेरे प्रभु मेरे परमेश्वर तेरे नश्वर जग पर बलिहारी।

बहुत अच्छी रचना है...

रंजना said...

वाह ! बहुत बहुत सुंदर !
ईश्वर से प्रार्थना है कि सदैव आपके मन ऐसे ही सकारात्मक भावों से पूर्ण रहे.जीवन और जगत को देखने का नजरिया सदा ऐसा ही बना रहे.

आशीष कुमार 'अंशु' said...

sundar ank

अवनीश एस तिवारी said...

आपकी रचना सुंदर है |
बधाई|

अवनीश तिवारी