Monday, October 13, 2008

हजार घड़ियाँ फुरक़त की

हज़ार घड़ियां फुरक़त की गवारा होंगी,
बस इन्तज़ार को कोई यक़ीन दे जाओ।

अब हकीक़त से न बहलेगी तमन्ना मेरी,
इसके ख़ातिर इक सपना हसीन दे जाओ।

उम्मीद इक दिलासा और इक सपना,
इन्ही सहारों पर दीवाने जिया करते हैं।

आने वाले दिनो के रेशमी पलों से ही,
वो हर जख़्म ज़िन्दगी का सिया करते हैं।

वीरान ज़िन्दगी की मेरी राहों में
ख़्वाब की कलियों से महकी ज़मीन दे जाओ।

अब हकीक़त से........................

जला
के बीते लम्हों को अपनी आँखों में
किसी तस्वीर की आरती उतार लेते हैं

सब्र होता है बहुत दीद के दीवानों में,
एक वादे पर सदियाँ गुज़ार देते हैं।

दिल के दीवारों मे तस्वीर कोई खिंच जाए,
मेरे लिए तो कोई पल रंगीन दे जाओ।

अब हकीकत से न बहलेगी तमन्ना मेरी,
इसके ख़ातिर इक सपना हसीन दे जाओ।

9 comments:

डॉ .अनुराग said...

अब हकीकत से न बहलेगी तमन्ना मेरी,
इसके ख़ातिर इक सपना हसीन दे जाओ।

well said.....

Shiv said...

बहुत खूबसूरत गजल...
आपने अपने ब्लॉग पर इतने दिनों बाद लिखा. आप इतना अच्छा लिखती हैं. अगर निरंतरता बनी रहे तो पढ़नेवालों के लिए बहुत अच्छा रहेगा.

दीपक कुमार भानरे said...

जला के बीते लम्हों को अपनी आँखों में
किसी तस्वीर की आरती उतार लेते हैं
बहुत ही उम्दा .
बधाई

रंजना said...

बहुत बहुत सुंदर..लाजवाब पंक्तियाँ हैं......आपकी ग़ज़ल मन मोह गई.ऐसे ही लिखती रहें.आभार.

Unknown said...

चारू जी आपने बहुत सुन्दर लिखा है । पहली बार ही आपकी रचना पढी और मन प्रसन्नचित हो गया । बधाई

Suneel R. Karmele said...

दिल के दीवारों मे तस्वीर कोई खिच जाए,
मेरे लिए तो कोई पल रंगीन दे जाओ।

अब हकीकत से न बहलेगी तमन्ना मेरी,
इसके ख़ातिर इक सपना हसीन दे जाओ।

जीवन की इन गलि‍यों में
यार तू मायूस न हो
दि‍ल को बहलाने वाले
फंसाने और भी हैं........

चारू जी बहुत अच्‍छी रचना, बधाई।
नि‍राशाओं में ही आशाओं का संचार है।

पंकज सुबीर said...

चारु जी आपकी कवितायें पढ़ीं । आपके भाव अच्‍छे हैं बस इनको अगर व्‍याकरण का सहारा मिल जाये तो ये उभर के सामने आयेंगें । अगर समय मिले तो मेरे ब्‍लाग की पुरानी पोस्‍ट पढ़ने का प्रयास करें और जो समझ में नहीं आये उसके लिये फोन करें । आपके आज के फोन के लिये धन्‍यवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

charuji,
aapki abhivyakti badi prakhar hai.
आपने बहुत अच्छा िलखा है । मैने अपने ब्लाग पर- सुरक्षा ही नहीं होगी तो कैसे नौकरी करेंगी मिहलाएं - िलखा है । इस मुद्दे पर आप अपनी प्रितिक्र्या देकर बहस को आगे बढा सकते हैं-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

Vinay said...

बढ़िया शब्द चित्र खेंच लेती हैं, ज़ारी रखें!